संदेश

यह पद शैतान के बारे में हैं। शत्रु को यीशु मसीह की मृत्यु से आघात लगा । वह अपने आपको सर्वशक्तिमान समझने लगा था क्योंकि वह सब को और सब कुछ नाश कर रहा था। यद्यपि यीशु मसीह ने उसे नीचे गिरा दिया और उसके अधिकार छीन लिए गए। इसीलिए परमेश्वर की किसी भी संतान को उसके अधीन नहीं होना चाहिये। शैतान के ऊपर परमेश्वर की विजय हमारी और से थी।

आदम के द्वारा किए गए पाप के साथ, शैतान ने संसार में प्रवेश किया (रोमियों  ५ :१२ ) और ऐसा कार्य करने लगा जैसे कि उसके पास सब कुछ है, जो उन लोगों को पीड़ा देता है जो उस वाचा के अधीन नहीं थे जिसे परमेश्वर ने मनुष्य के साथ बनाया था। परन्तु जब यीशु ने क्रूस पर मानवजाति के लिए स्वयं को दे दिया, तो अंधकार के राजकुमार को सबसे बड़ा आघात लगा: उसने मनुष्य पर अपनी पकड़ खो दी (रोमियों ५:१७-१९ )। इसलिए आज, विश्वासियों को दुष्ट की इच्छा के आगे झुकना नहीं चाहिए।

यीशु  मसीह ही एकमात्र हैं जिनके पास स्वर्ग और पृथ्वी के ऊपर अधिकार दिया गया है। {मत्ती २८:१८} वे सब जो प्रभु को ग्रहण कर चुके हैं और परमेश्वर की संतान बन गये हैं उन्हें शैतान की धमकियों से डरने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन उन्हें दृढ़ता से प्रभु के नाम से दुष्ट को भाग जाने की आज्ञा देनी  चाहिये।जो विजय मसीह ने शैतान के ऊपर प्राप्त की थी वह हमारी समझ से कहीं अधिक बड़ी थी। यीशु मसीह ने शैतान को नीचे गिरा दिया और प्रत्येक उस अधिकार को छीन लिया जिसके द्वारा उसने पहले आदम को पाप में गिराया था। स्वामी ने न केवल हमें नरक के अधिकार से अनंतकाल के लिए स्वतंत्र कर दिया है, लेकिन हमें दुष्ट आत्माओं को निकालने और बीमारों को चंगा करने के लिए सामर्थ्य भी दी है {मत्ती १०:१}वे जो परमेश्वर की और मुड़ते हैं और उनके परिवार में नया जन्म लेते हैं उन्हें किसी भी शैतानी परीक्षाओं के अधीन नहीं आना चाहिये। शैतान हमारा अधिकारी नहीं हो सकता है, वह हमारे जीवन में आकर जो कुछ हमारा है उसे नहीं छीन सकता है। वह तभी कार्य करेगा जब हम उसे अनुमति देंगे की वह हमारे जीवन में कार्य करे और ऐसा भय के कारण होता है। {यह तो यीशु मसीह में अविश्वास प्रकट करने जैसा है या अपने पापों को न मानने से होता है}हमें यह समझना होगा की प्रभु को आवश्यकता नहीं थी की वे शैतान को हराते लेकिन यह तो उन्होंने हमारी भलाई के लिए किया। फिर मसीह की शैतान और उसकी सेना के ऊपर विजय और उसके तमाम कार्यों के ऊपर विजय मिलने का श्रेय हमें मिल जाता है। यह तो ठीक ऐसा है जैसे सारा कार्य हमने खुद किया हो। इन सब बातों में हम यीशु मसीह के द्वारा जिसने हमसे प्रेम किया हम जयवंत से भी बढ़कर हैं। {रोमियों ८:३७}अब सताने वाला सताया जाता है। शैतान का पहले से ही न्याय किया जा चुका है {यूहन्ना १६:११} और निकाला जा चुका है {यूहन्ना १२:३१}

मसीह में प्रेम के साथ,

आर. आर. सोआरेस

प्रार्थना

प्रभु जी आप का धन्यवाद, आप महान हैं और आपने हमारे लिए जो किया हैं वैसा कार्य और कोई नहीं कर सकता!! हम सोचे उससे कई ज्यादा हमने आशीष पाई है, और केवल आपकी के वजह से हम, जयवंत से भी बढ़कर हैं !! प्रभु आपने पहले से ही न्याय कर दिया हैं, आज से अभी से मैं कोई भी अंधकार के आधीन नहीं रहूँगा और शैतान को आज्ञा देता हूँ की वह चला जाए यीशु मसीह के नाम से आमीन !!    

कविता

\”जिस से वे मनुष्यों को लगातार रोष से मारते रहते थे, और जाति जाति पर क्रोध से प्रभुता करते और लगातार उनके पीछे पड़े रहते थे।\”

संदर्भ


{यशायाह १४:६}