हमारे जीवन का उद्देश्य

2023-06-06 01:30:00

“क्योंकि परमेश्वर ने हमें क्रोध के लिये नहीं, परन्तु इसलिये ठहराया कि हम अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा उद्धार प्राप्त करें”

' (१ थिस्सलुनीकियों ५:९) '

परमेश्वर का हम को बचाने के पीछे एक उद्देश्य था: हमारी भलाई। लेकिन उन्होंने देखा कि जिसको उन्होंने अपने स्वरूप और अपनी समानता में बनाया था शैतान ने उसके साथ क्या किया। आज, प्रभु का ह्रदय उन लोगों को देख कर बहुत दुखी है जो उस शत्रु के द्वारा बहकाए जाते हैं जो एक दिन यीशु के द्वारा हराया गया था। दुर्भाग्य वश, उद्धार के बाद, बहुत से लोग अपने पुराने कार्यों में वापिस लौट जाते हैं। हालांकि, हमें अपने मन में यह स्वीकार करना है, कि पुरानी बाते बीत गई है; वे जो उद्धार पाए हुए हैं उनके लिए सब बाते मिलकर नई हो गयी है (२ कुरिन्थियों ५:१७)। इस कारण से, परमेश्वर के लोगों को अपने ह्रदय में घृणा को कोई स्थान नहीं देना चाहिए और न ही परीक्षा में गिरना चाहिए, बल्कि उन्हें चौबीसों घंटे और सातों दिन परमेश्वर के प्रेम में चलना चाहिए। सर्वशक्तिमान के मन में हमारे लिए उत्तम योजना थी जब उन्होंने हमें सुसमाचार दिया क्योंकि वह चाहते थे कि हम उनके प्रिय पुत्र की समानता में बदल जाए जिसने अपनी महिमा को शून्य कर दिया और इस संसार में शैतान के बंधकों को छुड़ाने के लिए जन्म लिया (रोमियों ८:२९)। खैर हम भी तक स्वर्ग नहीं गए हैं, जहाँ अभी तक कार्य पूरा नहीं हुआ है; हम इस बुरे संसार में हैं जहाँ इस समय तक लोग दर्द, से चिल्ला रहे हैं, लोग जो चोरी करते हैं और यहाँ तक कि अपने साथी के साथ अविश्वासयोग्य भी है। हमारे सामने अभी बहुत से काम करने के लिए बाकी हैं,

इसलिए हमें जिम्मेदारी लेने और परमेश्वर का कार्य का आरम्भ करने की आवश्यकता है (प्रेरित १०:३८, १ यूहन्ना २:६)। उन्होंने हम पर दया की और हमें बचाया। जब हमारे लिए उद्धार निश्चित हो गया तब भी उनका अनुग्रह हम पर कम नहीं हुआ। यद्यपि, हम को सिर्फ अपने विषय में सोचना बंद करना होगा; यह आवश्यक है कि हमें अपने मित्रों और रिश्तेदारों को जो अभी तक खोए हैं उन्हें याद रखना चाहिए। हमें अवश्य ही उनके लिए कुछ करना चाहिए क्योंकि छुटकारे का जो कार्य हम तक पहुंचा वह उन तक भी पहुंचना चाहिए। इसलिए उनके लिए भी उद्धार क्यों न प्राप्त किया जाए?

छुटकारे में जो भी बाते सम्मिलित हैं हमें उसकी खोज अवश्य करनी चाहिए क्योंकि यह हमारा भाग्य है, उदाहरण के लिए, हमारी चंगाई, जो न केवल सुसमाचार के सत्य होने का एक चिन्ह है बल्कि यह यीशु के दुखो का एक बहुत बड़ा भाग भी है जो यीशु ने हमें शत्रु के हाथ से छुड़ाने के लिए सहा (यशायाह ५३:४-५)। समृद्धि भी उद्धार प्राप्त किए हुओं का एक अधिकार है, और पवित्रता हमारे हृदयों में अवश्य होनी चाहिए {इब्रानियों १२:१४} संक्षेप में कहा जाए तो हमें उन सब वस्तुओं को प्राप्त करना चाहिए जो प्रभु ने हमारे लिए रखी हैं 

अपने जीवन में किसी भी बुरी चीज को ग्रहण मत कीजिए । शैतान सिर्फ भौतिक वस्तुओं को ही नहीं चुराता है; वह आपके मित्रों और रिश्तेदारों को उभारता है कि वे अपने जीवन में परमेश्वर के कार्य की ओर ध्यान न दें फिर वे प्रभु की खोज नहीं करेंगे। आपको प्रत्येक दुखों को शैतान की योजना के रूप में देखना चाहिए क्योंकि वह जानता है कि यदि आपका परिवार देखेगा कि आपके अंदर परमेश्वर के प्रति समर्पण के कारण बदलाव आया है तो वे भी परमेश्वर की ओर फिरेंगे।

 

यीशु मसीह में सबकुछ है ताकि हम एक आनंदमय और शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत कर सकें, जो पाप, बिमारी और गरीबी से स्वतंत्र हो और इन सबके साथ बहुत से लोगों का उद्धार भी शामिल है।

 


मसीह में प्रेम के साथ,


आर. आर. सोआरेस


आज की प्रार्थना

परमेश्वर के प्रेम में परिपक्व

2023-06-05 01:30:00

“और प्रभु ऐसा करे, कि जैसा हम तुम से प्रेम रखते हैं; वैसा ही तुम्हारा प्रेम भी आपस में, और सब मनुष्यों के साथ बढ़े, और उन्नति करता जाए।”

' (१ थिस्सलुनीकियों ३:१२) '

यह कितनी बड़ी बात होती यदि यह प्रार्थना सब लोगों के लिए कही जाती क्योंकि तब हम बेहतर जिंदगी जीते। स्वार्थी मसीहियों को देखने से दुखद और कोई बात नहीं है जिनके पास सुसमाचार प्रचार के लिए समय नहीं है, जो किसी के लिए कभी भी कोई उत्साह नहीं दिखाते हैं और केवल अपने बारे में सोचते हैं। उन्हें परमेश्वर के वचन से ईश्वरीय अगुवाई को खोजना चाहिए क्योंकि यदि वे लगातार ऐसे ही बने रहते हैं, तो उन्हें अनंत न्याय के समय समस्या होगी। जिस नाप से हम नापते हैं उसी नाप से हमें भी नापा जाएगा (मत्ती ७:२)। 

किसी व्यक्ति के ह्रदय में परमेश्वर के प्रेम की कमी प्रभु की ओर से लापरवाही के कारण नहीं होती है; सत्य यह है कि शैतान पवित्र लोगों को बहुत सी रणनीतियों के द्वारा परखता है। यीशु ने कहा इस संसार की चिंता और धन का धोखा, वचन को फल लाने नहीं देता है जो पिता की इच्छा है (मत्ती ९:५०)। परिणामस्वरूप, परमेश्वर के दास बाइबल के आदेश के विरुद्ध सोचना आरम्भ कर देते हैं, वे गलत गवाही रखते हैं और प्रभु के नाम की जिसके वे कहलाते हैं नामधराई होती है। 


यह संसार में सबसे घृणित और बुरी चीज़ है। लोगों को मसीह प्रेम की क्रियाशीलता की अत्यंत आवश्यकता है और हम मसीहियों को उस प्रेम को प्रदान करना चाहिए। लेकिन जब नमक अपना स्वाद खो दे तो वह किसी काम का नहीं होता है। आप के साथ ऐसा न होने दे ! (मरकुस ९:५०) यदि आप के मन में खोए हुओं के लिए सच्चा प्रेम है, यदि आप मसीह में अपने भाइयों के लिए दयालु है और यदि आप गलत नहीं है। मत भूलिए: जो कुछ धोखे से प्राप्त किया जाता है वह अमान्य होता है!प्रेम जो हमें पहले से ही देना है वह पर्याप्त नहीं है क्योंकि हमें उसमें बढ़ना है ताकि लोग प्रभु के सुसमाचार में और अन्य धर्मों में भिन्नता देख सके। यह बहुत महत्वपूर्ण है, परमेश्वर के प्रेम में और मानवीय दया में भ्रमित न हों। यह बहुत अच्छा लगता है कि किसी को बुला के उसके बारे में पूछना कि वह कैसा है और जरूरतमंद पर ध्यान देना, लेकिन प्रभु के प्रेम को व्यक्त करने के लिए लोगों तक प्रभु के वचन को ले जाना होगा और उनके लिए प्रार्थना करनी होगी , सर्वशक्तिमान के द्वारा अंधकार की सारी सामर्थ पर हमें जो अधिकार मिला है उस पर कार्य करते हुए उनको अंधकार के सारे बुरे कार्यों से हमें छुड़ाना होगा (लुका ४:१८)।

वे जो यह सोचते हैं कि वे प्रेम में सिद्ध हो गए हैं क्योंकि उनके पाप क्षमा हो गए हैं वे गलती कर रहे हैं। यह ईश्वरीय देखभाल का एक भाग है; बाकी आप तब प्राप्त करेंगे जब आप अपने हाथों को कार्य में लगाएंगे और जो लोग शैतान के द्वारा दबाए जाते और जो पाप के, बीमारियों के, और मूर्तिपूजा, जादू टोने के बंधन में बंधे हुए हैं उन्हें अनंत रोटी दें, ताकि वे छुटकारा प्राप्त कर सके। परमेश्वर का प्रेम उनके कार्य में अनंत है कि वह शैतान के बंधन में बंधे हुओं को स्वतंत्र करे।

यीशु ने हमें नया आदेश दिया: जैसा उन्होंने हमें प्रेम किया वैसे ही हम आपस में एक दूसरे के साथ प्रेम करे (यूहन्ना १३:३४)। मसीह ने हमें बचाया, क्षमा किया और पवित्र आत्मा से अभिषेक किया, इसलिए हम परमेश्वर के कार्य को करने के योग्य हैं। हमें उन लोगों के लिए ऐसा ही करना चाहिए जो अभी भी अंधकार में हैं। लेकिन ऐसा होने के लिए, हमें परमेश्वर की सहायता की आवश्यकता है। ऐसा करने से हम अपने प्रभु के लिए एक ऐसे चैनल हो जायेंगे जो लोगों को नाश होने से बचा ले और उन्हें उद्धार की ओर अगुवाई करे।                           

 

मसीह में प्रेम के साथ,


आर. आर. सोआरेस




आज की प्रार्थना

हमारे कार्य का परिणाम

2023-06-04 01:30:00

“हमारी बड़ाई और आनन्द तुम ही हो॥

' (१ थिस्सलुनीकियों २:२०) '

प्रभु परमेश्वर ने हमें हर समय सबसे महत्वपूर्ण कार्य को करने के लिए बुलाया है – खोये हुओं को सुसमाचार सुनाने का। वे लोग जो भूकंप या भूस्खलन के मलबे में फसे लोगों को बचाने का कार्य करते हैं वे बहुत ही भलाई का काम कर रहे हैं; डॉक्टर जो दुर्घटना ग्रस्त लोगों को और ज़रूरत मंद लोगों को बचाने का कार्य करते हैं वे भी बहुत सुन्दर काम करते हैं। लेकिन वह जो लोगों को अनंत नाश से बचाने का कार्य करते हैं वे सबसे बड़ा कार्य कर रहे हैं क्योंकि उद्धार का कार्य उन सारे भले कार्यों से जो लोग इस संसार में करते हैं अत्यंत महान और आवश्यक हैइस भले कार्य को सफलतापूर्वक करने के लिए, परमेश्वर ने हमें वही अभिषेक दिया है जो उन्होंने यीशु को दिया था। उन्होंने हमें खोए हुओं को शत्रु के पंजों से छुड़ाने के लिए भेजा था, लेकिन हम ने क्या किया है? क्या यह आवश्यक है कि हम ईश्वरीय आदेश का तिरस्कार करे और व्यापार उद्यम, अवैध आनंदों और अवैधानिक राज नैतिक क्रियाकलाप में उलझे रहे? जो कार्य उन्होंने हमें सौंपा है हम उसे अनदेखा क्यों करे? एक दिन, हमें उन दान वरदानों का हिसाब देना होगा जो स्वामी ने हमें सौंपे थे और तब आप उनको क्या हिसाब देंगे? दुःख के साथ, हम यह जानते हैं कि प्रभु की कलीसिया कुछ भी और हो सकती है लेकिन वह परमेश्वर का घर नहीं है। 

दुष्टात्माएं अब नहीं निकाली जाती है और इसलिए परमेश्वर का राज्य खोये हुओं तक नहीं पहुंचाता है। हम ने एक धार्मिक दर्शन को बनाया है और वही हम उन्हें देते हैं, न की परमेश्वर की सामर्थ। क्या प्रभु ने हमें यही करने के लिए आदेश दिया था। क्या वह नहीं जानते थे कि वह किस के विषय में बात कर रहे हैं जब उन्होंने हमें सुसमाचार प्रचार करने के लिए, और बीमारों को चंगा करने के लिए उनकी चंगाई की समर्थ का प्रयोग, दबे हुओं को स्वतंत्र करने के लिए, और बपतिस्मा देने के लिए आदेश दिया था ताकि वे बचाए जा सके ? (मत्ती १०:८; मरकुस १०:८) इसके विषय में सोचिए । 

जब हम प्रचार करते हैं, तो लाखों लोगों का भाग्य दांव पर होता है: यदि हम सत्य और प्रभु की सामर्थ का प्रचार करते हैं, तो वे बचाये जायेंगे। पर यदि हम अपने स्वार्थ के लिए सन्देश दे रहे हैं, तो उनका अंत एक अनंत नाश है। क्या इन बातों ने हमें हिला डाला है या हम चीजों को उस ओर बहने की अनुमति दे रहे हैं जिस ओर शैतान उसे देखना चाहता है? यीशु की कलीसिया, जाग जाइए! परमेश्वर की संतानों, आंखें खोलो! तुम, जो परमेश्वर के दास हो, जो तुम्हें करने को कहा गया है उसे करो! दिन आएगा और तब तुम क्या हिसाब दोगे? (२ कुरिन्थियों ५:१०)

प्रेरित पौलुस, जो प्रारंभिक मसीह कलीसिया का एक महान सुसमाचार प्रचारक था, उसने कहा कि वह जच्चा की सी पीड़ा महसूस करता है (गलातियों ४:१९), वह दर्द जो महिलाएं को प्रसव के समय होता है। यह भी दर्द है – प्रार्थना, उपवास, और हमारे स्वयं के प्रयास – जो हम परमेश्वर के राज्य की घोषणा करने के लिए उपयोग करते हैं। क्या आप के साथ भी ऐसा हुआ है? आप को इसके विषय में सोचना चाहिए क्योंकि पिता का कार्य, हमारी पीढ़ी में, केवल हमारे ऊपर ही निर्भर है। प्रभु आश्चर्यकर्म करने, बीमारों को चंगा करने, दबे हुओं को स्वतंत्र करने, प्रकृति में हस्तक्षेप, करने के लिए तैयार है लेकिन उसी समय वह हमारी इच्छा के अनुसार सीमित भी हैं। उन्हें हमारे पैर, बांहें, मुंह और अन्य सदस्यों की आवश्यकता है 

क्या आप ने अनंत महिमा और आनंद के विषय में सोचा है? धनी आप के सोने को लेने के योग्य नहीं होगा और न ही बुद्धिमान आप की संस्कृति को, लेकिन हम उन जीवनों को ले सकते हैं जो हमारी महिमा और आनंद होंगे, इसलिए हम अनंत जीवन में आनंदित रहेंगे। यीशु के नाम में, कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप कौन है, ईश्वरीय इच्छा को पूरा करना आरम्भ करे। किसी को भी खोने न दें!                                          


मसीह में प्रेम के साथ,


आर. आर. सोआरेस


आज की प्रार्थना

परमेश्वर के सेवकों का प्रेम

2023-06-03 01:30:00

"और वैसे ही हम तुम्हारी लालसा करते हुए, न केवल परमेश्वर को सुसमाचार, पर अपना अपना प्राण भी तुम्हें देने को तैयार थे, इसलिये कि तुम हमारे प्यारे हो गए थे।"

' (१ थिस्सलुनीकियों २:८) '

परमेश्वर का प्रेम जो हमारे हृदयों में उंडेला गया है उसका एक सबसे बड़ा कार्य यह है कि वह हम को एक दूसरे को प्रेम करने की सामर्थ देता है। यद्यपि, हम विभिन्न परिवारों और संस्कृतियों से आए हैं, जब हम मसीह की देह के किसी सदस्य को जानते हैं तो वह व्यक्ति हमारा प्रिय बन जाता है। यह सत्य है कि कभी कभी हम ऐसे लोगों का सामना करते हैं जो प्रभु की भेड़ों के झुंड समान दिखाई देते हैं। लेकिन तुरंत परमेश्वर का आत्मा हमें दर्शाता हैं कि वे खतरनाक और जंगली बकरियां हैं। सबसे भली बात यह है कि यह सत्य भी हमारे प्रेम को ठंडा नहीं कर सकता है 

प्रभु का प्रेम हमको दूसरों के लिए क्या भावना अनुभव करने को प्रेरित करता है वह वर्णन से बाहर है। यह इतना दृढ़ है कि जो विजय उन्होंने प्राप्त की है उसके कारण हम आनंदित होते हैं और जिस हार से वह गुजर रहे हैं उसके लिए दुखी होते हैं क्योंकि हम यह अनुभव करते हैं कि जैसे वह हमारे हैं। जब वे लोग जो शरीर के अनुसार जीते हैं ऐसा व्यवहार देखते हैं वह सदैव हमारे लिए बुरा ही सोचते हैं, इसलिए मशवरा दिया जाता है कि हमें बुराइयों से अलग रहना चाहिए ताकि किसी को भी हानि न पहुंचे और शैतान आप को रौशनी में जाने से न रोक सके (१ थिस्सलुनीकियों ५:२२)।  


आप पर्याप्त रूप से सावधान नहीं हो सकते हैं क्योंकि बहुत से इस प्रेम को एक शारीरिक प्रेम के रूप में समझ सकते हैं जो पापियों के लिए सामान्य बात है, और यह उसके लिए खतरा भी हो सकता है जो अभी तक विश्वास में परिपक्व नहीं हुआ है कि वह आप के समर्पण को एक धोखा या पाप के लिए एक भेंट समझे। पौलुस कहता है कि वह फिर मांस कभी नहीं खायेगा जो उसके भाई के ठोकर लगने का कारण हो (१ कुरिन्थियों ८:१३)। साख, दया और अन्य अच्छे गुण वह चिन्ह है जो बचाए हुओं को उन लोगों से हैं  जिन्होंने अभी तक संकरे और कठिन रास्ते से होकर प्रवेश नहीं किया हैं, अलग करते हैं क्योंकि वे लगभग सदैव उन लोगों से साथ सहानुभूति रखते हैं जो उन्हें बदले में कुछ दे सकता है। यदि इसे एक प्रेम कहा जा सकता है तो यह एक स्वार्थी प्रेम हैं। लेकिन हम अक्सर अपना अधिकतर समय उनके लिए अपर्ण करते है (उन्हे जताए या बताए बिना), खास कार जब वे परीक्षाओं से गुजरते हैं और जब वे विजयी होकर निकलते हैं हमारा आनंद पूरा हो जाता है।

सत्य यह है कि परमेश्वर का प्रेम हमें न केवल सुसमाचार की घोषणा करने के लिए अगुवाई करता है, बल्कि यदि संभव हो तो हम प्राण देने के लिए भी तैयार रहते हैं, यह बड़ी बात है जब लोग यह समझते हैं कि हम शुद्ध, पवित्र है और बुराई से हमारा कोई संबंध नहीं है जो आज अनियंत्रित रूप से इस संसार में हो रही है। तब यह लोग विश्वास और परमेश्वर के प्रेम में और अन्य क्षेत्रों में भी बढ़ेंगे। वे जो शरीर के अनुसार जीवन बिताते हैं वे आप के साथ और उन लोग के साथ भी जो उनके संपर्क में आते हैं बड़ी बुराइयां करेंगे। जबकि हम परमेश्वर की सच्ची सेवा नहीं कर रहे हैं, वे आपको परमेश्वर की उन आशीषों को देखने से रोकेंगे जो प्रभु आप के जीवन में उडेलेंगे। 

परमेश्वर के प्रेम को आप के ह्रदय में उडेलने दीजिए। क्योंकि हम एक दूसरे का हिस्सा है, हम बहुत आशीषित होंगे यदि हमारे अन्य भाई बहन ईश्वरीय प्रेम में बंध जायेंगे। यह कितनी भली और सुहावनी बात होगी जब परमेश्वर की संतान एक साथ रहेंगे; यह हमारे लिए बहुतायत की भलाई को करेगा (भजन १३३)!                              

 


मसीह में प्रेम के साथ,


आर. आर. सोआरेस


आज की प्रार्थना

जैसा कि बोला जाना चाहिए

2023-06-02 01:30:00

“साथ ही साथ हमारे लिये भी प्रार्थना करो कि परमेश्वर हमें अपने संदेश के प्रचार का तथा मसीह से सम्बन्धित रहस्यपूर्ण सत्य के प्रवचन का अवसर प्रदान करे क्योंकि इसके कारण ही मैं बन्दीगृह में हूँ। प्रार्थना करो कि मैं इसे ऐसे स्पष्टता के साथ बता सकूँ जैसे मुझे बताना चाहिए।”

 

' (कुलुस्सियों ४:३-४) '

मैंने यह सीखा है कि जितना अधिक मनुष्य परमेश्वर के निकट जाता है वह व्यक्ति उतना ही अधिक परमेश्वर पर निर्भर हो जाएगा। वे जो ईश्वरीय उपस्थिति में जीते हैं उन लोगों में ऐसे गुण होते हैं जो उन्हें और लोगों से अलग करते हैं – वे दीन होते हैं। उनका देखना पवित्र होता है; उनके विचार सदैव परमेश्वर के कार्य में होते हैं और वे किसी में भी बुराई को नहीं देखते हैं। वे पापियों को ऐसे देखते हैं जैसे ये वे लोग हैं जिन्हें सहायता की आवश्यकता है। यद्यपि, वे जो प्रभु से दूर रहते हैं वे सदैव दूसरों को पाप में देखते हैं; वे किसी पर भी भरोसा नहीं करते हैं और अपने आप को दूसरों से बेहतर मानते हैं। वास्तव में उन्हें क्या करना चाहिए कि वे सम्पूर्ण मन से प्रार्थना करे और पवित्र शास्त्र पर मनन करे।

शैतान बहुत से बचाए हुओं को सही मार्ग से भटकने में सफल हुआ है, और सबसे बुरी बात यह है कि उन लोगों को इस बात का एहसास भी नहीं है। यह एक ऐसी त्रासदी है जिसने अपने आप ही इस संसार में पवित्र आत्मा के कार्य के साथ स्थान ले लिया है। जबकि लाखों खोए हुए लोगों ने सत्य के लिए अपने ह्रदय को खोल दिया है और वे अंधकार के साम्राज्य से स्वतंत्र हो रहे हैं, वही परमेश्वर की कुछ ऐसी संतानें हैं जो बिलकुल विपरीत दिशा में चल रही हैं। उनके लिए जो बात मायने रखती है कि वे क्या पहनेंगे, कौन सी कार चलाएंगे, किस यात्रा पर जायेंगे और अन्य आदि निरर्थक विषय। 

वह जो वास्तव में प्रार्थना में जीवन नहीं जीते हैं वे शत्रु के छल में गिर जाते हैं। दुर्भाग्य वश, बहुत से लोग यह महसूस नहीं करते हैं कि ऐसा उनके साथ हो रहा है। मेरे भाइयों, कोई भी जितना अधिक रौशनी से दूर होगा, उतना ही अधिक उसके लिए वास्तविकता को देखना कठिन होगा। परिणामस्वरूप, जैसे दिन गुजारते जायेंगे और वे लोग कुछ भी स्थापित नहीं कर पायेंगे। वे मुश्किल से कोई कार्य आरम्भ करते हैं तभी कोई नया कार्य सामने आ जाता है जो पहले वाले को छोड़ने का कारण बन जाता है कि वे कुछ नया करने की कोशिश करे। यदि आप उनमें से हैं, तो मैं प्रार्थना करता हूँ कि प्रभु आप की समझ को खोले क्योंकि परमेश्वर के बहुत निकट होने की बजाए, आप अभी तक उनको जान नहीं पायें हैं और इसलिए आप उन खोए हुओं के समान हैं जिन्होंने कभी भी यीशु के विषय में नहीं सुना है।परमेश्वर से उन द्वारों को जिसमें से वे चाहते हैं कि आप हो कर जाए उन्हें खोलने के लिए कहें (लुका ११:१०)। हर मनुष्य को यह प्रयास करना चाहिए कि वह प्रभु के द्वारा वचनों में या कार्यों में इस्तेमाल हो। मसीह के रहस्य से बढ़कर कोई भी बात और अधिक बेहतर और लाभकारी नहीं है। खोए हुए लोगों के साथ मिलने से, आप कोई भी ऐसी बात प्राप्त नहीं करेंगे जिससे आप ऊँचे उठे। ध्यान दे कि आप सुसमाचार से बाहर क्या सीखते हैं क्योंकि निश्चय ही यह परमेश्वर की ओर से नहीं है और इसलिए यह भली बात नहीं हो सकती हैं। केवल वही लोग जो सत्य को जानते हैं यीशु के साथ चलते हैं, और क्योंकि वे प्रभु के साथ संगति करते हैं उनके पास देने के लिये कुछ है। कभी न भूले कि वे अभी जो शरीर के अनुसार जन्मे हैं उनसे कोई लाभ नहीं है।    

उद्धार प्राप्त किए हुए यह जानते हैं कि प्रभु यीशु ने उनके लिए अपने भंडार में क्या क्या रखा है। उनकी यह चिंता है कि वे खोए हुओं को परमेश्वर के पवित्र रहस्य की सम्पूर्ण रीती से समझा सके। और तो और, उनके ह्रदय बहुत बोझिल होते हैं जैसे कि उनके कंधों पर बहुत बोझ रखा हुआ हो क्योंकि उन्हें हर किसी से सत्य को बाटने की आवश्यकता महसूस होती है, और जब वे यह सुनते हैं कि कोई बिना उद्धार के मर गया है वे ऐसा महसूस करते हैं कि जैसे वे असफल हो गए हैं। यदि आप इसमें कुछ भी विशेष महसूस नहीं करते हैं, तो इसका अर्थ हैं कि अभी भी आप की आंखें खुली हुई नहीं है और, इसलिए, आप अभी भी पाप में हैं और शत्रु का जूए में जुटे हुए हैं। इसलिए प्रभु से प्रार्थना कीजिए और उनसे मांगिए कि वे आप को वह आवश्यक समझ दें ताकि जो आप को बोलना चाहिए तब वह आप बोले।                                        

  

 

मसीह में प्रेम के साथ,


आर. आर. सोआरेस

आज की प्रार्थना

आप कहाँ रहते हैं?

2023-06-01 01:30:00

“क्योंकि तुम मसीह के साथ मर चुके हो और तुम्हें संसार की बुनियादी शिक्षाओं से छुटकारा दिलाया जा चुका है। तो इस तरह का आचरण क्यों करते हो जैसे तुम इस दुनिया के हो और ऐसे नियमों का पालन करते हो जैसे

' (कुलुस्सियों २:२०) '

मनुष्य परमेश्वर के स्वरुप और उसकी समानता में बनाया गया था ताकि वह उनके साथ और उनकी उपस्थिति में रहे; हालाँकि, जब आदम ने पाप किया तो उसको उस ईश्वरीय उपस्थिति से निकाल दिया गया था। आज, वे जिन्होंने उद्धार पाया है, उन्हें पहले मनुष्यत्व को दबाते हुए, बहुत देर तक परमेश्वर के साथ संबंध से वंचित रहने की स्थिति को स्वीकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि आदम में जैसे सब मरते हैं वैसे ही मसीह में सब जिलाए भी जायेंगे (१ कुरिन्थियों १५:२२)। यद्यपि, वे लोग जिन्होंने अभी तक उद्धार नहीं पाया है उनकी स्थिति बहुत ही दयनीय है क्योंकि उनके पास परमेश्वर नहीं है और इसलिए यदि वे धार्मिक भी है और अच्छे कार्यों को करने का प्रयास भी करते हैं, तो भी संकट के समय उनके पास कोई ईश्वरीय सहायता नहीं पहुंचेगी (यूहन्ना ३:३६; १ यूहन्ना ५:१५)।

वे जिन्होंने ने नया जन्म पाया है उन्हें यह समझने की आवश्यकता है क्योंकि उन्होंने प्रभु यीशु को अपना प्रभु और उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार किया है और अब वे पाप के लिए मर गए हैं और इसीलिए, अब उन पर पीड़ा, बीमारियाँ, गरीबी और अन्य दुष्ट के कार्यों का कोई प्रभाव नहीं है (रोमियों ६:१-११)। कलवारी पर मसीह की मृत्यु के साथ, हम अंधकार के सारे अधिकार से मुक्त हो गए हैं, इसलिए अब हम शैतान के किसी भी योजना के शिकार नहीं है क्योंकि नए जन्म के साथ हम ने पुराने मनुष्यत्व को उतार दिया है और हमने नया मनुष्यत्व पहन लिया है।

हालाँकि, प्रभु यीशु ने जो भी हमारे लिए किया है उस का लाभ पाने के लिए, यह आवश्यक है कि हम उस झूठ को स्वीकार न करे जो शैतान ने सारे संसार में फैलाया है कि हम केवल क्षमा प्राप्त किए  हुए पापी है और हम अन्य लोगों से भिन्न नहीं है – चाहे वे उद्धार प्राप्त किए हुए हों या नहीं। 

यदि आप ने यीशु को अपना उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार किया है तो आप को यह विश्वास करना चाहिए कि आप मसीह के साथ मारे गए हैं। पहले जैसे लोगों को सिखाया जाता था लोग परमेश्वर को प्रसन्न करने की कोशिश करते थे, वे कुछ नहीं है बल्कि एक धोखा है। वास्तव में, वे जो परमेश्वर के परिवार में जन्मे हैं वे उन सारे कर्जों से स्वतंत्र हैं जो मनुष्य ने अनुबंध किया था क्योंकि हमारे सारे कर्जों को क्रूस पर किलों से ठोंक दिया गया था। हमारे सारे अपराधों को मिटा डाला गया (कुलुस्सियों २:१३-१४)। इसलिए, हम किसी भी धार्मिक मांग के अधीन न हों। दृढ़ रहें और किसी के भी द्वारा उत्पन्न कोई भी आज्ञा को न स्वीकारें। यह वस्तुएँ, ईश्वरत्व का रूप ले सकती हैं, लेकिन यह क्रूर और शैतानी है। 

परमेश्वर का वचन जो कहता है केवल उसे स्वीकार करे क्योंकि यह उसके मुख से निकलता है जो हम को एक सफल जीवन जीने के लिए सहायता कर सकते हैं (२ तिमोथियुस ३:१६-१७)। पवित्र आत्मा की सहायता से हम पवित्र शास्त्र को समझ सकते हैं। प्रभु के दर्शन के बिना मनुष्य सारी परिस्थितियों में लड़खड़ाता है। सृष्टिकर्ता तक पहुँचने की उत्सुकता में, वे उन सब चीजों को करने में अंत करता है जो कुछ कार्य नहीं करती है क्योंकि उनका कोई आत्मिक मूल्य नहीं है। 

यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप को अपने मन को तैयार करना होगा कि आप इस संसार में जीयेंगे या परमेश्वर की उपस्थिति में (१ यूहन्ना २:१५-१७)। वे जो इस संसार में जीते हैं वे केवल भौतिक वस्तुओं की चिंता में ही रहते हैं; वे मनुष्यों और धार्मिक अध्यादेश के द्वारा शरीर की अभिलाषा के अनुसार चलाये जाते है। वे जिन्होंने उद्धार नहीं पाया है वे बहुत ही समस्या से भरी आत्मिक स्थिति में हैं क्योंकि वे अभी भी आकाश की शक्तियों के द्वारा चलाये जाते हैं और इसलिए वे बहुत बुरे पाप को भी करने के लिए खुले हुए हैं (इफिसियों २:२-३)। दूसरी ओर, जो उद्धार प्राप्त किए हुए हैं उन्हें अपने आप को व्यर्थ की बातों से दूर रखना चाहिए जो उन लोगों के द्वारा उत्पन्न की जाती हैं जिनकी सर्वशक्तिमान से कभी भी मुलाकात नहीं हुई है। वह जो प्रभु को जानता है वे उन के वचन के द्वारा तृप्त किया जाता है।                

मसीह में प्रेम के साथ,


आर. आर. सोआरेस


आज की प्रार्थना

शत्रु की भेंट को स्वीकार न करे

2023-05-31 01:30:00

“यह मैं इसलिये कहता हूं, कि कोई मनुष्य तुम्हें लुभाने वाली बातों से धोखा न दे”


' {कुलुस्सियों २:४} '

शैतान धोखा देने वाला है, इसलिए हमें उसके प्रति सावधान होना चाहिए। वह दुष्ट एक मसीही को परमेश्वर के वचन के विपरीत सोचने के लिए प्रेरित कर सकता है, उदहारण के लिए: वह किसी को यह सोचने के लिए मजबूर कर सकता है कि उसने एक सही व्यक्ति से विवाह नहीं किया है और उसे किसी और को खोजना चाहिए ताकि वह पूर्ण हो सके। वह बहुत से लोगों को उनके घमंड में नाश कर सकता है जो अपने आप को कपड़ों, जूतों, जेवरों और अन्य भौतिक वस्तुओं के द्वारा स्थापित करने की सोचते हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो एकमात्र उद्देश्य से शैतान के द्वारा भेजे जाते हैं: कि हमें विश्वास से भटका दें और हमें तबाही की ओर ले जाए। नरक के सेवकों की जबरदस्त चिकनी-चुपड़ी बातें होती हैं। अपने स्वामी की तरह, वे बड़ी प्रेरक शक्ति वाले मास्टर शब्द-निर्माता हैं। हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें। सावधान! आपका उद्धार परमेश्वर से मिला सबसे कीमती उपहार है। उसके साथ, आपका अनंत भविष्य सुनिश्चित है; हालाँकि, यदि आप इसे खो देते हैं, तो अनंत काल तक आप पीड़ा और दर्द का अनुभव करेंगे (प्रकाशितवाक्य ३:११ )।

यदि शैतान प्रभु की परीक्षा कर सकता है, तो वह आप के साथ भी ऐसा ही करेगा। हमारे पास कोई अपवाद नहीं है। निःसंदेह, वह कई बार आप की परीक्षा करेगा जैसे वह कर सकता है और शायद उसने ऐसा पहले से ही किया हो और आप उसके इस प्रस्ताव में गिर भी गए कितने लोगों को प्रभु ने एक विशिष्ट कार्य के लिए बुलाया, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी? जिस कारण से वे दैवीय आदेश को पूरा करने में विफल रहे, वह शत्रु का एक सुझाव था, जिसे स्वीकार कर लिया गया। क्या प्रभु ने इसे ध्यान में नहीं रखा? क्या यह मुमकिन हैं की हम परमेश्वर की किसी भी प्रकटीकरण को "ना" कहकर उसकी ऊँची कीमत को नहीं चुकाएंगे ? शैतान बहुतों को धन-दौलत से मोहित कर देता है, फिर मौत का वार करता है। प्रतिद्वंद्वी द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली अन्य तरकीबें भी हैं, जो कई लोगों को नीचे गिरा देती हैं।

मसीही इस संसार की चीजों से कैसे अपने आप को जोड़ सकते हैं? कुछ लोग ऐसे होते हैं जो कलीसिया जाने का समय भी नहीं निकाल पाते हैं क्योंकि उन्हें धन कमाने की आवश्यकता होती है। कुछ लोग ऐसे हैं जो केवल घर की चीजों में ही उलझे रहते हैं जबकि परमेश्वर का वचन यह कहता है कि स्वर्ग की बातों पर ध्यान लगाओ (कुलुसियों ३:१-३)। बहुतों के लिए उनके बच्चों कीं पढ़ाई ही उद्देश्य होता है जिसके कारण वे खोए हुओं के बचाने का कार्य नहीं करते हैं। संसार की बहुत सी चिन्ताएँ हैं जो मसीहियों को धोखा देती हैं  एक सबसे बड़ी बात जो परमेश्वर के लोगों को गिराती है वह है वस्तुओं का लोभ। शायद कुछ लोग सोचते हैं, “यदि मेरा पड़ोसी वे कपड़े खरीद सकता है तो मैं क्यों नहीं?” “यदि मेरा मित्र किसी अन्य द्वीप में छुट्टियाँ बिता सकता है, तो मैं और मेरा परिवार क्यों नहीं?” यह सारी वस्तुएँ उस विश्वासयोग्यता के प्रतिफल को छिनने के लिए जो हमारी प्रतीक्षा कर रह है शैतान के द्वारा प्रयोग की जाती है। 

  यीशु ने घोषणा की कि यह सारी वस्तुएँ वे कटीली झाड़ियाँ हैं जो परमेश्वर के वचन को बढ़ने से रोक देती हैं (मत्ती १३:२२)। जब बीज कटीली झाड़ियों के बीच गिरता है तो उसमें फल लाने की क्षमता नहीं होती है। वे लोग जिनमें आत्मा का फल उत्पन्न नहीं हो रहा, या वे किसी को भी प्रभु के निकट लेकर नहीं आ रहे हैं, वे सावधान रहे क्योंकि शत्रु उन्हें धोखा दे रहा है। जो कुछ आप इस भौतिक संसार में इकट्ठा करते हैं वह यही रह जाएगा। दूसरी ओर, वे जो सच्चे धन को प्राप्त करना चाहते हैं या परमेश्वर को प्रसन्न करने में अपने दिन बिता रहे हैं उन्हें उस महान दिन में प्रतिफल दिया जाएगा।                            

मसीह में प्रेम के साथ,


आर. आर. सोआरेस

आज की प्रार्थना

आवश्यकता से अधिक बढ़ोतरी

2023-05-30 01:30:00

“और मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए”

' (फिलिप्पियों १:९) '

फिलिप्पियों को उद्धार के विषय में अगुवाई करने के अलावा, पौलुस अपनी भेड़ों के लिए एक उत्साही चरवाहा भी था। यह अच्छा होगा कि जो व्यक्ति लोगों को मसीह की ओर अगुवाई करते हैं वे उस व्यक्ति को किसी कभी भी न छोड़े। शैतान, यह जानता है कि बहुत से लोगों में आपस में असामंजस्यता होती है और, इसका फायदा शैतान उठाता कि जब कोई उसके शिकार को मसीह में स्वतंत्रता की ओर ले जा रहा है, जल्दी या बाद में शैतान उनके बीच में असहमति या कोई दरार पैदा करता हैं। शत्रु जानता है कि जब कभी कोई कठोर भावना होती है तो वह मित्रता को हिला सकती है,चाहे शारीरिकदर्द या, प्रेम के ठंडा हो जाने के कारण और, इसलिए नया बदला हुआ व्यक्ति वह मसिह की सहायता नहीं प्राप्त करेगा जो सहायता उसे मिलनी चाहिए। 

प्रेरित अपने लोगों को सही मार्ग दिखाता है कि उन्हें परमेश्वर के प्रेम में और अधिक बंधने के लिए क्या करना चाहिए। अच्छा चरवाहा अपनी भेड़ों की प्रगति के लिए जो कुछ भी अच्छा है उसे सिखाने के लिए प्रयास करता है। उद्धार प्राप्त किए हुए सभी लोग मनुष्यों के पकड़ने वाले हैं, जबकि वे उन पांच सेवाओं में से किसी में भी कार्य नहीं कर सकते हैं (इफिसियों ४:११)। इसलिए हमें उन सभी का ध्यान रखना चाहिए जिनके लिए परमेश्वर ने हमें अनंत जीवन को उत्पन्न करने की अनुमति दी है। आखिरकार, जो कोई छोटे से छोटे के लिए भी कुछ करेगा जो प्रभु में विश्वास करते हैं तो वह प्रभु के लिए करेगा (मत्ती २५:४०)  वचन का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है। पवित्र शास्त्र का ज्ञान हमें जीवन के हर क्षेत्र में बुद्धिमान बनाता है। यह हमें उन सब अंधकार की शक्तियों से लड़ने के लिए तैयार करता है जो हम पर आक्रमण करती है और उन्हें भी चुराने की कोशिश करती है प्रभु ने जिनको हमें सौंपा है। यदि हम इन लोगों के बढ़ने का कारण है, तो यह हमें आनंद देगा क्योंकि वह प्रभु का इनकार नहीं करेंगे और इसके परिणामस्वरूप हमारा आनंद पूरा हो जायेगा। परमेश्वर की हर संतान को समझ में बढ़ना चाहिए, जो उनके और समस्त मानवजाति के लिए बहुत आवश्यक है। हमारा जीवन बहुत बेहतर होगा उदाहरण के लिए जब व्यभिचारी गलत मार्ग से फिर जायेगा और चोर बदल जायेगा। हम खोये हुओं से यह आशा नहीं कर सकते हैं कि वे संसार की समस्याओं का समाधान करे। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के दास होने के नाते – वह जो हम में और हमारे द्वारा सब कुछ कर सकता है – हम में लोगों को बदलने की शक्ति है ताकि हम समाज बड़े पैमाने पर बदल सकें। 


यदि ऐसे लोग हैं जो पथभ्रष्ट उत्सवों में आनंद लेते हैं, जो वेश्यावृति करते या शैतान को बलि चढ़ाते हैं, तो ऐसी बातों को देखा जाना हमारे लिए शर्म की बात है। हालाँकि, जब हम प्रयास करते और  हर एक मनुष्य अपने आपको परमेश्वर के कार्यों के लिए अर्पित करते जाते हैं जैसा की होना भी चाहिए, तो हम हमारे लोगों को बदल देंगे। इस अंत तक, हमें विश्वास और ज्ञान में बढ़ना है ताकि पवित्र आत्मा हमें कार्य को पूरा और सिद्ध रूप से करने के लिए योग्य बनाए । 

बाइबल हमें चेतावनी देती है कि वे जो थोड़े को प्राप्त करते हैं लेकिन उसका उपयोग नहीं करते हैं वे परमेश्वर की उपस्थिति से हमेशा के लिए उस अंधकार में फेंक दिए जायेंगे जहाँ हमेशा के लिए रोना और दांत पीसना होगा। लेकिन वे जो विश्वासयोग्य हैं वे परमेश्वर पिता की आशीष के रूप में महिमा में ले लिए जायेंगे और हमेशा के लिए प्रभु यीशु के साथ रहेंगे (मत्ती २५:१४-३०)। सदा आनंदित रहने का प्रयास करे। यह आसान है; बस परमेश्वर के वचन का पालन करे।                                     


मसीह में प्रेम के साथ,


आर. आर. सोआरेस


आज की प्रार्थना

एक छोटा सा विस्तार

2023-05-29 01:30:00

“जो हमारे प्रभु यीशु मसीह से सच्चा प्रेम रखते हैं, उन सब पर अनुग्रह होता रहे”

' (इफिसियों ६:२४) '

उन देशों में जहाँ मसीहियत फैली हुई है, वहाँ ऐसे लोगों को खोजना कठिन है जो प्रभु यीशु को प्रेम न करने का दावा करते हैं। यहाँ तक कि वे लोग भी जो पाप में जीवन बिता रहे हैं वे भी परमेश्वर से प्रेम करने का दावा करते हैं। वे यह नहीं समझते हैं कि यीशु से प्रेम करना केवल वह लोग महसूस करते हैं जिनके पास परमेश्वर की आज्ञाएं हैं और जो उन पर चलते हैं (यूहन्ना १४:२१)। आप को अपने आप को परखना चाहिए:

आखिरकार अपने लिये परमेश्वर की इच्छा को जाना यह आप की जिम्मेदारी है। वे लोग जो निषेध बातों पर और आदेशों पर ध्यान नहीं देते हैं जो परमेश्वर के वचन में लिखा गया है वे कभी भी उन्हें प्रेम नहीं करेंगे। अनुग्रह केवल उन्हीं लोगों पर होगा जो यीशु से सच्चा प्रेम करते हैं। सारी बातों में ईमानदार होना बहुत महत्वपूर्ण है। वे जो यह सोचते हैं कि वे अपने कार्य को पूरा कर सकते हैं वे बेढंगेपन से सरासर गलत है। वचन कहता है कि शापित है वह जो प्रभु के कार्य को धोखे से करता है (यिर्मयाह ४८:१०)। अब, प्रभु उन सब से जो उनका प्रतिनिधित्व करते हैं पवित्रता, आदर और समर्पण चाहते हैं।


आप पवित्र परमेश्वर की सेवा अशुद्ध विचारों और उद्देश्यों के साथ नहीं कर सकते हैं क्योंकि वह उन लोगों के द्वारा अपना प्रतिनिधित्व नहीं कराएगा जो उस दुष्ट की सेवा करते हैं। वे जो यह सोचते हैं कि वह बहुत बुद्धिमान है और परमेश्वर की सेवा में किसी प्रकार की चालाकी करते हैं वे केवल अपना समय बर्बाद कर रहे हैं ; प्रभु की सेवा में इस प्रकार से कार्य करने के कारण, वे प्रभु के द्वारा छोड़ दिए जाते हैं। सर्वशक्तिमान के वचन इस विषय में हमें  संकेत देते हैं कि दो लोग तब तक साथ नहीं चल सकते है जब तक कि वे एक दूसरे से सहमत न हो (आमोस ३:३)। वे जो अपने कार्यों को करने में ईमानदार नहीं है जो उन्हें सौंपे गए हैं वे तुरंत परमेश्वर के समक्ष अपने पापों को मानकर, अपने रास्तों को सुधारे।

ऐसे लोग हैं जो यह विश्वास करते हैं कि अंत भला तो सब भला, लेकिन यह सिद्धांत शैतानी है, यह पवित्र वचन में नहीं लिखा है। कार्य को पूरी ईमानदारी के साथ करना चाहिए, वरना यह परमेश्वर का कार्य नहीं है (मत्ती ५:३७)। जहाँ कहीं भी झूठ या धोखा है वहाँ शैतान क्रियाशील हो जाता है और सबसे उत्तम कार्य जो हम कर सकते हैं वह है ऐसी परिस्थिति से बाहर निकल जाएँ। जहाँ परमेश्वर की उपस्थिति नहीं है वह कभी न जाए। प्रभु ने कहा कि हमें पवित्र होना चाहिए जैसे वे पवित्र है (१ पतरस १:१६)।

हर सेवक को सावधान होना चाहिए कि वह किस प्रकार से सुसमाचार की सेवा करता है। वे जो प्रभु की वेदी पर अपवित्र वचन देते हैं उन्हें अपनी इस दुष्टता के लिए ऊँची कीमत चुकानी पड़ेगी (गिनती २६:१६)। परमेश्वर उन लालची व्यापारियों में से नहीं है जो बहुत पैसा कमाने के लिए बदमाशों और ठगों को किराए पर लेते हों ताकि वे उनके घर का ध्यान रखे। परमेश्वर पवित्र है और, बिना किसी संदेह के, वे व्यभिचारियों, झूठों और धोखेबाज़ कर्मचारियों का न्याय करेंगे। छलपूर्ण रीती से कार्य करना, परमेश्वर के कार्य में ईमानदार न होना आप के जीवन को श्राप की ओर ले जायेगा। आइये उन लोगों के उदाहरण को फिर से स्मरण करे जिन्होंने प्रभु की सेवा सच्चाई से करने के लिए ऊँची कीमत चुकाई। उनके लिए यह आसान होता कि वे अपने दिनों में संदिग्ध घोषणा करनेवाले अधिकारियों के साथ मिल जाते और अपने जीवन को बचाने के लिए सत्य न बोलते। यद्यपि, यदि वे ऐसा करते तो वे जिसे परमेश्वर का कार्य मानते थे उसे करने में अपना समय ही बर्बाद करते और अंत समय में वे सत्य के झूठे गवाह कहलाते। यूहन्ना बपतिस्मा यदि हेरोदेस से सत्य नहीं बोलता तो वह अपना सर नहीं खोता (मरकुस ६:१७-२९)। एक छोटा सा विस्तार आप को बड़ी हानि पहुंचा सकता है।                                                

मसीह में प्रेम के साथ,


आर. आर. सोआरेस

आज की प्रार्थना

उपयोगी सलाह

2023-05-28 01:30:00

"अब हे भाईयों, मैं तुमसे विदा लेता हूँ। अपने आचरण ठीक रखो। वैसा ही करते रहो जैसा करने को मैंने कहा है। एक जैसा सोचो। शांतिपूर्वक रहो। जिससे प्रेम और शांति का परमेश्वर तुम्हारे साथ रहेगा।"

' (२ कुरिन्थियो १३:११) '

पौलुस ने कुरिन्थियों के भाइयों को जो कुछ सिखाया उसके अलावा, वहाँ कुछ ऐसी शिक्षाएं थीं जो कभी नहीं भूलना चाहिए। आइए, हम उन शिक्षाओं का ध्यानपूर्वक अध्ययन करे। परमेश्वर के वचन से जो कुछ भी आप सीखते हैं उस पर अधिकार करना न भूले, क्योंकि केवल वह ही जिनके पास आज्ञाएं है और जो उन पर चलते हैं वे ही प्रभु से प्रेम करते हैं (यूहन्ना १४:२१)।

 आनंद – आपको आनंदित रहना चाहिए। भाइयों को उदास नहीं होना चाहिए। यद्यपि परीक्षाएं आती रहती हैं और उसका हल पाना कठिन जान पड़ता है, लेकिन शत्रु को आपके चेहरे को उदास देखने का कोई अवसर न दें। याद रखें वह परमेश्वर की संतानों पर दोष लगाने वाला कहलाया जाता है और वह एक झूठा है (यूहन्ना ८:४४)। यदि आप को आनंद मनाने का कोई कारण नहीं दिखता है, तो आप को वह पढ़ने की आवश्यकता है जो प्रभु यीशु ने आप के लिए किया है। उन्होंने आपके सम्पूर्ण बोझ को उठा लिया: आप के पाप, खामियां, बीमारी, दर्द, आपका दंड आदि भी सह लिया। तो क्या यह आप के आनंद का कारण नहीं है? क्या आप किसी ऐसे के लिए यह सब करेंगे जो इसके योग्य नहीं है? मुझ में कोई खुबी नहीं थी, इसलिए मैं प्रभु में और जो कुछ उन्होंने मेरे लिए किया है उसके लिए मैं आनंद मनाता हूँ। मैं आप को यह भरोसा दिला सकता हूँ: प्रभु में सदा आनंदित रहना सबसे भली बात है (फिलिप्पियों ४:४)।

सिद्ध बने – प्रेरित हमें यह बताते हैं कि हम सिद्ध बने। इसलिए विवाद न करे बल्कि अपने हाथों को कार्य करने में लगाएं। यदि आप यह सोचते हैं कि यह असंभव है, तो उस से पूछे जिसने प्रेरित को ऐसा लिखने के लिए कहा। निःसंदेह, परमेश्वर का आत्मा आप को इस विषय में अवश्य सहायता करेगा। वह आप को वह द्वार दिखायेगा जिसमें आप को प्रवेश करना चाहिए ताकि आप वह सिद्धता को प्राप्त करे, आप के मन से क्या बाहर जाना चाहिए और आप के ह्रदय में किस बात को स्थान मिलना चाहिए। परमेश्वर हमारे मित्र हैं और जो उनको लगन से खोजता है उसकी वह सहायता करते हैं (भजन १४५:१८)। प्रभु के साथ बेईमान न हों। 

ढाढस बांधो – ढाढ़स बांधना एक आदेश है। क्या कभी किसी ने कुछ ऐसा किया है ताकि वह आप को नाश करे। तो प्रभु के पास जाए और अपने दर्द को बताएं। पवित्र आत्मा का एक नाम तसल्ली देने वाला भी है (यूहन्ना १४:१६-१७), और वह आप की समस्या से आप का छुटकारा अवश्य करेंगे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इस समस्या ने आप के चरित्र को कितना कलंकित किया हो। क्योंकि वह हमारे सृष्टिकर्ता हैं, प्रभु हमें चंगा कर सकते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि हमारी देह, हमारा प्राण और आत्मा किस से बना है और वह जानते हैं कि क्या चीज हमें नष्ट कर सकती है। हमें सत्यों को बताने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि सब कुछ उनकी आँखों के सामने साफ़ और स्पष्ट है (इब्रानियों ४:१३)। प्रभु को आप के साथ व्यवहार करने दे और आप सफल होंगे।एक मन हों – प्रभु का प्रकाशन सबके लिए एक समान है, इसलिए हम एक मन हो सकते हैं। यद्यपि, हम बिलकुल एक जैसे नहीं है और जो समझ हम प्राप्त करते हैं वह व्यक्तिगत होती है, पर हम सब एक निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं।

शांति से रहे – हमारे लिए एक और सलाह है कि हम शांति से रहें। वे जो सदैव एक दूसरे के लिए शक करते हैं और जो परमेश्वर ने उन्हें दिया है वह दूसरों को नहीं देते हैं वह शांति से नहीं रहते हैं। मन में समस्याएं बीमारी को जन्म देती है, आप को प्रभु से मदद के लिए प्रार्थना करन चाहिए। ऐसा करने से प्रेम और शांति के परमेश्वर आप के साथ रहेंगे।                                  

   

 

मसीह में प्रेम के साथ,


आर. आर. सोआरेस

आज की प्रार्थना

यहूदियों को तुच्छ न जाने

2023-05-27 01:30:00

"आगे चल कर, यहोवा याकूब पर फिर अपना प्रेम दर्शायेगा। यहोवा इस्राएल के लोगों को फिर चुनेगा। उस समय यहोवा उन लोगों को उनकी धरती देगा। फिर गैर यहूदी लोग, यहूदी लोगों के साथ अपने को जोड़ेंगे। दोनों ही जातियों के लोग एकत्र हो कर याकूब के परिवार के रूप में एक हो जायेंगे।”

' (यशायाह १४:१) '

यह सच है कि अब्राहम के जैविक वंशजों ने परमेश्वर परमेश्वर को त्याग दिया, उनके पुत्र को अस्वीकार कर दिया, और इसके लिए उन्होंने बहुत बड़ी कीमत चुकाई। यदि उन्होंने परमेश्वर के पुत्र को अस्वीकार न किया होता, तो संसार का क्या होता? क्या अब भी पृथ्वी पर जीवन होता ? यहूदी राष्ट्र की सबसे बड़ी त्रासदी यह थी कि उसने मसीहा को अस्वीकार कर दिया। निःसंदेह वह उनकी सभी समस्याओं का समाधान कर देता। आज, वही उन लोगों के लिए सच है जो उद्धार को अस्वीकार करते हैं, क्योंकि उन्हें जो कुछ भी चाहिए वह पहले से ही तैयार और वितरित किया जा चुका है।

हम प्रतिज्ञा के द्वारा इब्राहीम के वंशज हैं और, इस प्रकार, उन सभी उपहारों के उत्तराधिकारी हैं जो प्रभु ने कुलपिता को दिए थे (रोमियों 4)! इस कारण से, हमें विश्वास में और अधिक सक्रिय होने की आवश्यकता है और हम उन आशीषों को बर्बाद नहीं कर सकते जो हमारे लिए तैयार की गई हैं। जो यीशु के हैं उन्हें नरक से किसी भी हमले को सहन करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उन्हें अधिकार है कि वे अंधेरे की ताकतों और उन्हें परेशान करने वाली समस्याओं के खिलाफ उद्धारकर्ता के नाम का उपयोग करें। इसके अलावा, उस नाम के साथ, दिव्य उपस्थिति में प्रवेश उनके लिए खुला है।

परमेश्वर के आने के समय को न पहचानने की कमी के कारण इस्राएली लोग अज्ञानता और पीड़ा में सदैव के लिए संघर्ष करते रहे। यद्दपि, हमें यशायाह की पुस्तक के इस पद से समझना चाहिए कि इस्राएलियों को अपनी आँखों पर से पर्दा उठाना पड़ेगा और वे यीशु की ओर लौट आयेंगे, प्रभु याकूब की संतानों पर कृपा दृष्टि करेंगे और जो भविष्य उनकी प्रतीक्षा कर रहा है वह बहुत ही अद्भुत होगा। 

हमारे लिए यह जानना आवश्यक नहीं है कि कितनी पीढ़ी गुजरेगी और कितनी परीक्षाओं से वे गुजरेंगे लेकिन एक दिन आएगा जब वे पछताएंगे कि उन्होंने क्या किया और वह आनंद के साथ यह महसूस करेंगे कि उनका समय आ गया है। तब, वे उन सब बातों को पूरा होते हुए देखेंगे जो सर्वशक्तिमान ने उनसे प्रतिज्ञा की थी और वे वापिस अपनी भूमि को लौट आयेंगे – इस प्रकाशन के अनुसार न केवल मध्य पूर्वी क्षेत्र में, बल्कि ईश्वरीय प्रतिज्ञा के संसार में भी। वैसे, परमप्रधान द्वारा गारंटीकृत आशीष इस्राएल के थे, लेकिन क्योंकि उन्होंने परमेश्वर के पुत्र का तिरस्कार किया था अन्यजातियों को उनके पास आने का रास्ता मिल गया और उन्होंने यह महसूस किया कि पवित्र आत्मा के साथ संगति करने और शांति का आनंद उठाना कितना सुन्दर है(रोमियों ९:११)।जितना शीघ्र वे अपनी भूमि पर आ जायेंगे है, यहूदी महान सुसमाचार प्रचारक बनेंगे। इस बात से कोई इंकार नहीं है कि वे जो चाहते हैं उसमें दृढ़ हैं, यही कारण है कि हम मानते हैं कि जब उनके मुलाक़ात का समय आएगा, तो वे समय के अंत में परमेश्वर के कार्य के महान उद्घोषक बनेंगे। लेकिन जब तक यह पर्याप्त नहीं है, हमें अपना अवसर बर्बाद नहीं करना चाहिए।

परमप्रधान ने हमें मेल-मिलाप की सेवकाई सौंपी है, इसलिए हमें किसी भी चीज़ को हमें सबसे सुंदर कार्य से दूर नहीं होने देना चाहिए, जो कि प्रभु के लिए खोए हुए लोगों को जीतना है। जो कार्य हो चुका है वह महान है क्योंकि बाइबल यह बताती है कि अन्यजाती के लोग याकूब के घर से जुड़ जायेंगे। निश्चय, परमेश्वर एक बड़े युद्ध को जीत लेंगे और तब मानवजाति सत्य को जानेगी और ईश्वरीय न्याय का प्रकटीकरण स्वयं होगा।                                          


मसीह में प्रेम के साथ,


आर. आर. सोआरेस

आज की प्रार्थना

कार्य पहले ही से पूरा हो चुका है

2023-05-26 01:30:00

“परन्तु तू ही ने हम को द्रोहियोंसे बचाया है, और हमारे बैरियों को निराश और लज्जित किया है”

' (भजन ४४:७) '

जो भविष्यवाणियों हमें दी गई थीं वह हमें इसलिए दी गई थी कि हम उस पर विश्वास करे, ताकि प्रभु यह देख सके कि जो वे घोषणा कर रहे हैं वे हमारे जीवन में सत्य हो सके। यद्यपि, वे जो प्रभु के सन्देश का तिरस्कार करते हैं वे निःसंदेह बहुत बड़ी हानि उठाएंगे। इसलिए इसे अनदेखा न करे, परमेश्वर जो कहते हैं केवल उसे स्वीकार कर उस पर विश्वास करे। वे जो ऐसा करते हैं उनके लिए प्रतिज्ञा यह है कि वह परमेश्वर की महिमा को देखेंगे (यूहन्ना ११:४०)। शत्रु के द्वारा मुर्ख न बने की विश्वास के द्वारा जीना कठिन है। प्रभु ने बोलने के द्वारा जो स्थापित कर दिया है उस को आदेश दें। आखिरकार, या तो आप परमेश्वर की महिमा को देखेंगे या उस दुष्ट के कार्य को देखेंगे? 

आदम के गिरने के बाद, नरक को यह अधिकार मिल गया कि वह मानव जाति को दबाए। तब से, आज हम इस संसार में केवल दुष्टता को ही देखते हैं जो मनुष्य पर राज्य कर रही है। केन ने अपने भाई हाबिल की हत्या कर दी और मानव जाति सम्पूर्ण रीती से उस बिंदु तक भ्रष्ट हो गई कि प्रभु को इस पृथ्वी पर बुराई को साफ़ करने के लिए बाढ़ को भेजना पड़ा (उत्पत्ति ७:६)। और उसके तुरंत बाद, हाम जो नूह का एक पुत्र था, वह अपने पिता के द्वारा शापित किया जाता है क्योंकि उसने पाप किया था (उत्पत्ति ९:२०-२५)

 संसार का इतिहास बहुत से ऐसे लोगों से भरा हुआ है जिन्होंने बहुत गलत तरीके से व्यवहार किया है और सर्वशक्तिमान के समक्ष बहुत से पाप किए है। दूसरी ओर, परमेश्वर के दासों की कहानी उन लोगों के द्वारा चिन्हित की गयी है जिन्होंने अपने आप को प्रभु को समर्पित किया है और प्रभु के लिए बड़े कार्य किए हैं। किस इतिहास की पुस्तक में आप अपना नाम और अपने कार्य को लिखवान चाहेंगे?  

सबसे बड़ी आशीष तब आई जब परमेश्वर ने अपने पुत्र को इस धरती पर भेजा ताकि वह बुराई के सारे कामों को नाश कर दे। यह परमेश्वर की योजना नहीं थी कि शैतान इस पृथ्वी पर लगातार दुष्टता फैलता रहे, इसीलिए पिता ने यीशु को जो कार्य सौंपा था वह इस बुराई की दावत का अंत करना था। जबकि वह हमारे बीच में था, मसीह ने दुष्टात्माओं को निकला और हमें भी उन्हें निकलना सिखाया। आज, यद्यपि, बहुत से लोग जो अपने आप को मसीह कहते हैं उन्होंने कभी भी दुष्टात्माओं को नहीं निकला है। यहाँ तक कि बहुत से ऐसे लोग हैं जो कभी भी किसी भी दुष्टात्माग्रस्त व्यक्ति के छुटकारे के गवाह नहीं बने है लेकिन वे अपने रिश्तेदार और मित्रों को देखते हैं जो खुदकुशी करते हैं या व्यभिचार में गिरते हैं या अन्य पापमय क्रियाओं को करते हैं जो आज परमेश्वर के लोगों में बढ़ता जा रहा है; फिर भी वे कभी ध्यान नहीं देते हैं और न कभी कुछ ऐसा करते हैं जो उन्हें करना चाहिए और इसके परिणाम स्वरूप वे मसीह के उनके जीवन में आने के उस महान उद्देश्य को खो देते हैं 

 प्रभु यीशु हमारे लिए उदाहरण हैं। जो कुछ उन्होंने किया है हमें अवश्य ही उस पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि वे हम सब के लिए एक सीख के रूप में आए थे। स्वामी अपने कार्य में सफल हो गए, उन्होंने कुछ भी बाद में करने के लिए नहीं छोड़ा। इसे एक आदेश के रूप में ले और अपना भाग पूरा करे। यदि मसीह का आना अभी हो जाए, तो आप के कितने मित्र और परिवार जन सदैव के लिए नाश हो जायेंगे? क्या आप वास्तव में निश्चित है कि आप प्रभु के साथ उठा लिए जायेंगे या आप उस घने अंधियारे की ओर मुख किए हुए हैं जहाँ रोना और दांत पीसना है (मत्ती २५:३०)? 

परमेश्वर के पुत्र के द्वारा जो कार्य पूरा कर दिया गया है उसके कारण हम अपने शत्रु से सुरक्षित है; और तो और, सारी दुष्टात्माएं भी हारी हुई हैं और वे हमेशा के लिए ऐसे ही रहेंगी। मेरे भाइयों, आपने अपने कार्यों के अनुसार, क्या दुष्टात्माओं को हरा दिया है या आप ने उनको प्रसन्न किया है? परमेश्वर ने आप को जो करने के लिए आदेश दिया है वह करना आप का कर्तव्य है और ऐसा करने में आप यह सिद्ध करेंगे की आप प्रभु के द्वारा जीवित किए गए हैं और आप प्रभु यीशु का नाम किसी भी परिस्थिति में प्रयोग कर सकते हैं। इसलिए निराश न हों और न ही प्रभु से छिपे क्योंकि प्रभु की उपस्थिति से कोई नहीं छिप सकता है!

 

                                         

मसीह में प्रेम के साथ,


आर. आर. सोआरेस


आज की प्रार्थना

विश्वासयोग्य परमेश्वर पर भरोसा रखें

2023-05-25 01:30:00

"परन्तु प्रभु सच्चा है; वह तुम्हें दृढ़ता से स्थिर करेगा: और उस दुष्ट से सुरक्षित रखेगा।”

' { 2 थिस्सलुनीकियों ३:३} '

जब किसी परीक्षा के कारण एक मसीही भयभीत हो जाता है चाहे वह कोई बीमारी हो, बेरोजगारी हो, धमकी या नरक की और कोई चाल हो – वह शैतान को ऐसा महसूस करवाता है जैसे कि वह उसे नाश कर सकता है। परमेश्वर की प्रत्येक संतानों को सचेत होना चाहिए और प्रभु ने अपने वचन में जो द्वार उनके लिए खोले रखें हैं उन पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि केवल एक ही चीज है जो उनके युद्ध में उन्हें हानि पहुंचा सकती है: परमेश्वर के वचन के विरुद्ध बलवा। वे जो सर्वशक्तिमान पर संपूर्ण रीती से भरोसा रखते हैं उनके गिरने की कोई भी संभावना नहीं है, क्योंकि उनके अंदर महान और सामर्थी परमेश्वर का निवासस्थान है। {रोमियों ८:३८-३९}

एक और बात जिसके ऊपर मनन और विश्वास करने की आवश्यकता है वह यह है कि हमारे परमेश्वर कोई ऐसा कार्य नहीं कर सकते हैं जिसके कारण वे अविश्वासयोग्य ठहराए जाए। यदि उन्होंने जगत के अंत तक हमारे साथ रहने का वादा किया है – और अभी तक अंत समय नहीं आया है – तो आप उनपर भरोसा रख सकते हैं कि इस वाचा में वे अपना भाग पूरा करेंगे। अब हमें उनके महान आदेश के अनुसार कार्य करना होगा क्योंकि जब उन्होंने यह आदेश दिया कि हम इस संसार में जाकर प्रभु के सुसमाचार को हर मनुष्य को प्रचार करे तब उसके बाद उन्होंने यह अद्भुत कथन कहा जिसके अनुसार वह इस संसार के अंत तक हमारे साथ रहेंगे (मत्ती २८:१९-२०)। 

यदि आप वचन के अनुसार नहीं जी रहे हैं, तो अभी ऐसा करना आरंभ कर दे। यदि आप पाप में जीवन बिता रहे हैं तो प्रभु के सामने इसे स्वीकार करे, प्रभु से उसके लिए क्षमा मांगे; आप यह प्रतिज्ञा करे कि शैतान के द्वारा जो भी आप के समक्ष परीक्षा आती है उसमें आप सम्मिलित नहीं होंगे और विजय की ओर अग्रसर होंगे। इसलिए किसी भी समस्या से जो आप के जीवन में आ सकती है न घबराएं: जब आप एक बार परमेश्वर की योजना का हिस्सा बन जाते हैं, तो आप उन सब पर विजयी हो जायेंगे। शैतान को क्यों आप के जीवन को संचालित करने का अधिकार दे जो आप के जीवन में सिर्फ बुराई ही लाता है। जाग जाइए, अभी इसी समय पाप को त्याग दीजिए और प्रभु आप के साथ होंगे (इफिसियों ५:१४)।          

परमेश्वर की योजन को बदलने के लिए प्रार्थना करने का कोई फायदा नहीं है क्योंकि वह अपनी योजना नहीं बदलेंगे। उन्होंने कहा है कि वह, जो प्रभु है, कभी नहीं बदलते हैं इसीलिए आप को बदलने की आवश्यकता है (मलाकी ३:६)। यदि आप उनके वचनों पर विश्वास करते हैं, तो वह अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करेंगे; वह आप को ऐसा बनाएंगे ताकि आप उनकी योजन को सफलता पूर्वक स्थापित कर सके। क्या आप नहीं सोचते हैं कि आप ने बिना शांति, दृष्टिकोण, और दिशा के पर्याप्त जीवन जी लिया है? सो जो आप को वास्तव में प्रेम करता है उस को अपना जीवन समर्पित कर दे और वह आप के जीवन को सफलता में बदल देगा जो उनका ईश्वरीय उद्देश्य है। यह सत्य है कि शत्रु आप का पीछा करना नहीं छोड़ेगा, वह आप को परमेश्वर के हाथ से छुड़ाने का भरसक प्रयास करेगा ताकि वह अपनी भयानक योजना को हमारे जीवन में पूरा कर सके, लेकिन इसका हमारे जीवन में क्या मतलब है? वह जो कुछ भी चाहे कर सकता है लेकिन हम पर उसका कुछ भी प्रभाव नहीं पड़ेगा।

हम परमेश्वर के हैं और वह सर्वशक्तिमान ही हमारे छुपने का स्थान है। प्रभु हमें भरोसा दिलाते हैं कि शैतान आपके जीवन के विरुद्ध बहुत ही प्रभावशाली हथियार इस्तेमाल कर सकता है लेकिन उनमें से एक भी कामयाब नहीं होगा (यशायाह ५४;१७)। इसलिए, विश्वास में खड़े हो जाए और सर्वशक्तिमान के निर्भय बेटे और बेटियां बनेअंत में, ध्यान दें कि कैसे प्रतिज्ञा का अंत होता है: प्रभु कहते हैं कि वह आप को उस दुष्ट से बचायेंगे, तो क्यों आप डरते और संदेह करते हैं? एक विजयी और आज्ञाकारी संतान बने। उस झूठे के द्वारा आई किसी भी धमकी पर ज़रा सा भी ध्यान न दें।

बजाय इसके, प्रभु पर जो सत्य है विश्वास करे और आप आनंदित होंगे और शत्रु की पहुँच से बाहर होंगे।                            

मसीह में प्रेम के साथ,


आर. आर. सोआरेस

 


आज की प्रार्थना

हमारी जिम्मेदारी

2023-05-24 01:30:00

“इसलिये ध्यान से सुनो क्योंकि जिसके पास है उसे और भी दिया जायेगा और जिसके पास नहीं है, उससे जो उसके पास दिखाई देता है, वह भी ले लिया जायेगा।”

' {लूका ८:१८} '

अक्सर कुछ दिनों के पश्चात कोई न कोई व्यक्तिगत प्रकाशन को लेकर उभरता है और वही पुरानी बात दोहराता है कि सबकुछ पहले ही से सुनियोजित है उसके बाहर और कुछ नहीं होगा। यधपि अगर हम यीशु मसीह के वक्तव्यों को देखें जो उन्होंने लूका में कहा है, यह बहुत स्पष्ट है कि भाग्यवाद का परमेश्वर से कोई लेना देना नहीं है, अन्यथा उनके वचन को बदलना पड़ता। स्वामी ने कहा कि हमें ध्यान से सुनना है कि हम क्या सुनते हैं क्योंकि उसी नाप से हम नापे जायेंगे। यदि ऐसा नहीं होता तो प्रभु ने यह नहीं कहा होता। 

प्रभु अपने वचन के प्रचार या पढ़े जाने के द्वारा क्या कह रहे हैं इसको सुनने कि हमारी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। वह जो निर्माता के मैनुएल को नहीं पढ़ता है वह उस उत्पाद का सम्पूर्ण आनंद नहीं उठा सकता है। प्रभु जो हमारे सच्चे पिता हैं, वे केवल यह ही नहीं जानते हैं कि हमारे लिए क्या भला है, बल्कि उन्होंने ये निर्देश इसलिए लिखे हैं ताकि हम बुद्धि प्राप्त कर सकें ताकि हम उनके नाम को नीचे न करें बल्कि प्रत्येक परिस्थिति में विजयी हो सकें।सर्वशक्तिमान हमें बताते हैं कि जो कुछ उनके वचन में आदेश दिया गया है उसे हम सुने और पूरा करें, क्योंकि ऐसा करने के द्वारा हम वही करेंगे जो उचित है। हम कभी भी वह नहीं बोलेंगे जो १००% सही नहीं है या महत्वपूर्ण नहीं है। सो जो समझ आप वचन से प्राप्त करते है उसे अपने अधिकार में ले लें क्योंकि यह आपके लिए सर्वोत्तम है। यदि आप शिक्षा कि उपेक्षा करेंगे भले ही आप थोड़े समय के लिए सफलता प्राप्त कर ले, आप आगे चलकर इस निष्कर्ष पर पहुंचेंगे कि आपने सही निर्णय नहीं लिया है। 

ध्यान दीजिए कि आप कैसे सुनते हैं क्योंकि परमेश्वर के प्रति आदर के द्वारा ही आप और अधिक वचन प्राप्त कर पाएंगे। वह जो उन बातों को पकड़े रहता है जो उसे दिया गया है, वह जो ईश्वरीय आज्ञा को कार्य में लाता है और अन्य बातों से प्रेरणा नहीं प्राप्त करता है जो व्यर्थ की हैं वह देखेगा की उसकी आज्ञाकारिता का प्रतिफल उसे मिलेगा। हमें कुछ देने के बाद सर्वशक्तिमान पहले से आशीष को तैयार करते हैं ताकि वे उन्हें हमारे जीवन में उंडेल सकें।           

यधपि आलसी लोग कभी कुछ प्राप्त नहीं कर पाएंगे वे जोखिम में हैं और जो कुछ उनके पास है वे उसे भी खो देंगे। बल्कि जिसके ह्रदय में परमेश्वर का भय नहीं है वह उसका आदर नहीं करता है और इसलिए वह आदेशों का पालन भी नहीं करता है, जिसके परिणामस्वरूप वह जो उसके पास है वह भी उससे ले लिया जायेगा। ठीक जैसा की शाउल के साथ हुआ, शमूएल ने उसे ठीक ठीक बताया था कि उसे क्या करना है लेकिन राजा ने आज्ञा का पालन नहीं किया और अंत में वह अपना राज-पाट खो बैठा। {१ शमूएल १५:२२-२३}

अब बलवा करने वाले न बने या अन्य किसी परीक्षा में न पड़े! जो कुछ आपको एक मिशन के रूप में सौंपा गया है उसके प्रति विश्वासयोग्य बने रहें क्योंकि ऐसा करने के द्वारा आप देखेंगे कि प्रभु को प्रसन्न करना भला है। क्योंकि वचन में लिखा है कि वे जो उसकी व्यवस्था से प्रसन्न होते हैं प्रभु उनके ह्रदय कि लालसाओं को पूरा करते हैं। {भजन ३७:४} 

जब किसी विषय में सत्य आपके ह्रदय में प्रकाशित किया जाता है तब प्रभु का कार्य समाप्त हो जाता है और आपका कार्य शुरू हो जाता है। यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप अपने जीवन को किस प्रकार जीयेंगे और आप क्या प्राप्त करेंगे! 

    

मसीह में प्रेम के साथ,


आर. आर. सोआरेस

आज की प्रार्थना

महिमा उसके सिर पर नहीं चढ़ी

2023-05-23 01:30:00

तब दानिय्येल के बिनती करने से राजा ने शद्रक, मेशक, और अबेदनगो को बाबुल के प्रान्त के कार्य के ऊपर नियुक्त कर दिया; परन्तु दानिय्येल आप ही राजा के दरबार में रहा करता था॥

' {दानिय्यल २:४९} '

एक बार, नबूकदनेस्सर राजा ने एक सपना देखा जिसने उसे बहुत व्याकुल कर दिया लेकिन क्योंकि उसकी आत्मा बहुत परेशान थी वह अपना सपना भूलने लगा। इसलिए उसने बाबुल के सब पंडितों को बुलाया ताकि वे उसके दोनों स्वप्न जान सके और उसका अर्थ बता सके, जो वे बिलकुल नहीं कर सकते थे। इस कारण से, राजा ने उन सब को नाश करने का आदेश दिया। 

जैसे ही राजकीय आदेश जारी हुआ कि कोई भी पंडित नाश होने से न बचे, तो वे दानिय्येल को भी मारने का उपाय खोजने लगे। हालांकि, उस जवान पुरुष ने उस जल्लादों के सुबेदार से पूछा कि इस कठोर आदेश का क्या कारण है, उसने राजा को अर्जी दी और उसके तीन मित्र इकट्ठे हुए, ताकि वे मिलकर प्रभु से प्रार्थना करे कि प्रभु उन्हें उस स्वप्न को दर्शायें और उसका अर्थ बतायें। सर्वशक्तिमान ने उत्तर दिया और दानिय्येल ने उस राजकीय आज्ञा को बदल दिया क्योंकि जब उसने वह स्वप्न और उसके अर्थ को प्रकट किया तो उसने सब दंड पाने वाले सब पंडितों के लिए राजा से क्षमा के लिए विनती करी। हालाँकि, सबसे उत्तम बात जो उसने कि, परमेश्वर की उपासना करना। एक अंतर उन लोगों के बीच देखा गया है जो परमेश्वर की सेवा करते हैं और जो उनके द्वारा सेवा कराना चाहते हैं वह है वफ़ादारी: वे जो सत्य के सामने समर्पित है वे सदैव प्रभु को ऊँचा उठाते हैं! दानिय्येल ने यह अवसर लिया ताकि वह अपने विश्वास के विषय में बता सके और सर्वशक्तिमान को महिमा दे। वह और उसके मित्र बाबुल में बंधुआई में लाये गए थे, लेकिन सर्वशक्तिमान उनके साथ था।सपने की व्याख्या करने के बाद, दानिय्येल को पूरे बेबीलोन प्रांत का गवर्नर नियुक्त करके राजा द्वारा पुरस्कृत किया गया। इसके अलावा, उन्हें राजा द्वारा पदोन्नत किया गया और कई उपहार दिए गए। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उसने अपनी महिमा के समय भी अपने उन मित्रों को नहीं  भुलाया जिन्होंने उसके साथ मिलकर प्रार्थना करी थी। इसलिए उसने राजा से विनती की जिसने उसकी बात मानकर शद्रक, मेशक और अबेदनगो को बाबुल के प्रांत के कार्य के ऊपर नियुक्त कर दिया। सच में, परमेश्वर के दासों को कभी भी सारी महिमा अपने ऊपर नहीं लेनी चाहिए। स्वार्थी होना अच्छी बात नहीं है। वे जिन्होंने समस्या के समाधान के लिए हमारे साथ मिलकर प्रार्थना करी है उनको पहचानना चाहिए और उन्हें प्रतिफल देना चाहिए। किसी को भी ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि कोई बहुत आशीष प्राप्त कर रहा है क्योंकि वह सौभाग्यशाली है। उन लोगों के मूल्य को पहचानना जिन्होंने हमें प्रार्थना या वचन के प्रचार के द्वारा हमारी सहायता की है बहुत आवश्यक है।

वे लोग जो वास्तव में परमेश्वर की सेवा करते हैं वे सदैव अपने साथी के लिए वफादार रहेंगे। दूसरी ओर, वे जिनके ह्रदय में परमेश्वर का भय नहीं है वे विकृत रूप से व्यवहार करेंगे: जब उन्हें यह विश्वास होता है कि किसी से उनको कुछ मिल सकता है, वे उसे मक्खन लगाएंगे लेकिन जितना जल्दी उन्हें यह यकीन होता है कि उस व्यक्ति से उन्हें कुछ मिलने वाला नहीं है, वे उस व्यक्ति के साथ ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे कोई बिना उद्धार प्राप्त किया व्यक्ति करेगा। लेकिन परमेश्वर उन लोगों के जीवन के द्वारा महिमा प्राप्त करते हैं जो प्रभु की सेवा आत्मा और सच्चाई से करते हैं!

हमें कभी भी निराश होकर यह नहीं कहना चाहिए कि अब कोई रास्ता नहीं है; आखिरकार, वे जो प्रभु की सेवा करते हैं वे हर बादल पर चांदी का अस्तर देखेंगे। दानिय्येल को प्रकाशन मिला, वह स्वप्न और उसका अर्थ जान गया और उसके परिणाम स्वरूप सर्वशक्तिमान की प्रशंसा हुई।                                          

 

मसीह में प्रेम के साथ,


आर. आर. सोआरेस

आज की प्रार्थना